साथियो,
प्राप्त रिपोर्टो के अनुसार मानव श्रृंखला पूरी तरह से असफल रहा। इस असफलता में मुख्य भूमिका नियोजित शिक्षको की रही। इस बात का कयास पूर्व से ही लगाया जा रहा था कि इस बार की मानव श्रृंखला असफल साबित होगी और ये आखिरकार हुआ भी। सरकार की नीति और नीयत से आहत नियोजित शिक्षक वर्ग में मानव श्रृंखला को लेकर पहले से ही कोई उत्साह दिख नहीं रहा था। उच्च न्यायालय का मानव श्रृंखला में जबरन या दवाब बनाकर शामिल न किए जाने के निर्देश ने भी कुछ हद तक सरकारी तंत्र को दविश बनाने से रोके रखा । हाँ ये अलग बात है कि कुछ पदाधिकारियों ने इसके बाबजूद भी अपना खौफ व बाद में देख लेने की बात करने से अपने को रोक न सके जिसके दुष्परिणाम भी व्हाट्सएप्प पर वीडियो के माध्यम से देखने को मिल रहा है । उनकी ऐसी कर्तव्यपरायणता के कई वजह हो सकते है जिसे भी समझा जा सकता है।
मै धन्यवाद ज्ञापित करना चाहता हूँ उन नियोजित शिक्षको को जिन्होंने संवैधानिक प्रावधान सामान काम के लिए सामान वेतन पर आए माननीय उच्च न्यायालय पटना के नय्यादेश को मानने से इंकार करने वाली व नय्यादेश के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में SLP दायर करने वाली व सामाजिक कुरीतियों,कुप्रथाओं के प्रति न्याययिक रूप से गंभीर होने के बजाय,सरकारी खजाने का मानव श्रृंखला के नाम पर दुरुपयोग करने वाली सरकार की इस कार्यक्रम से अपने को अलग रखा।
मानव श्रृंखला से अलग रखने का ये मतलब नही लगाया जाना चाहिए कि नियोजित शिक्षक वर्ग इन सामाजिक अभिशाप के उन्मूलन के प्रति गंभीर व सजग नहीं है।
दहेज ,बाल विवाह या अन्य जितनी भी सामाजिक कुरीतियां है इन्हें मिटाने के लिए समाज को शिक्षित होना ,जागरूक होना आवश्यक है और इसमें शिक्षको की अहम भूमिका है और हमें अपने कर्तव्य व उत्तरदायित्व का ज्ञान है। मुझे ये भी ज्ञात है कि आज के मानव श्रृंखला से अपने को अलग रखने वाले शिक्षको ने मानव श्रृंखला के मद्देनजर विद्यालय में आयोजित किए गए विभिन्न कार्यक्रमों में अपनी जिम्मेवारी व भूमिका का सफल निर्वहन भी किया है और आगे भी अपनी गरिमा के अनुसार कर्तव्य पालन करते रहेंगे। कुल वक्तव्य का आशय यह है कि नियोजित शिक्षक सामाज को अपने सामाजिक दायित्वों का बोध है।
शिक्षक एकता जिन्दावाद। ✊
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल मे है ,देखना है जोर कितना बाजू ए कातिल में है।✊
- आभास सौरभ,सामान्य पार्षद (बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ)
प्राप्त रिपोर्टो के अनुसार मानव श्रृंखला पूरी तरह से असफल रहा। इस असफलता में मुख्य भूमिका नियोजित शिक्षको की रही। इस बात का कयास पूर्व से ही लगाया जा रहा था कि इस बार की मानव श्रृंखला असफल साबित होगी और ये आखिरकार हुआ भी। सरकार की नीति और नीयत से आहत नियोजित शिक्षक वर्ग में मानव श्रृंखला को लेकर पहले से ही कोई उत्साह दिख नहीं रहा था। उच्च न्यायालय का मानव श्रृंखला में जबरन या दवाब बनाकर शामिल न किए जाने के निर्देश ने भी कुछ हद तक सरकारी तंत्र को दविश बनाने से रोके रखा । हाँ ये अलग बात है कि कुछ पदाधिकारियों ने इसके बाबजूद भी अपना खौफ व बाद में देख लेने की बात करने से अपने को रोक न सके जिसके दुष्परिणाम भी व्हाट्सएप्प पर वीडियो के माध्यम से देखने को मिल रहा है । उनकी ऐसी कर्तव्यपरायणता के कई वजह हो सकते है जिसे भी समझा जा सकता है।
मै धन्यवाद ज्ञापित करना चाहता हूँ उन नियोजित शिक्षको को जिन्होंने संवैधानिक प्रावधान सामान काम के लिए सामान वेतन पर आए माननीय उच्च न्यायालय पटना के नय्यादेश को मानने से इंकार करने वाली व नय्यादेश के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में SLP दायर करने वाली व सामाजिक कुरीतियों,कुप्रथाओं के प्रति न्याययिक रूप से गंभीर होने के बजाय,सरकारी खजाने का मानव श्रृंखला के नाम पर दुरुपयोग करने वाली सरकार की इस कार्यक्रम से अपने को अलग रखा।
मानव श्रृंखला से अलग रखने का ये मतलब नही लगाया जाना चाहिए कि नियोजित शिक्षक वर्ग इन सामाजिक अभिशाप के उन्मूलन के प्रति गंभीर व सजग नहीं है।
दहेज ,बाल विवाह या अन्य जितनी भी सामाजिक कुरीतियां है इन्हें मिटाने के लिए समाज को शिक्षित होना ,जागरूक होना आवश्यक है और इसमें शिक्षको की अहम भूमिका है और हमें अपने कर्तव्य व उत्तरदायित्व का ज्ञान है। मुझे ये भी ज्ञात है कि आज के मानव श्रृंखला से अपने को अलग रखने वाले शिक्षको ने मानव श्रृंखला के मद्देनजर विद्यालय में आयोजित किए गए विभिन्न कार्यक्रमों में अपनी जिम्मेवारी व भूमिका का सफल निर्वहन भी किया है और आगे भी अपनी गरिमा के अनुसार कर्तव्य पालन करते रहेंगे। कुल वक्तव्य का आशय यह है कि नियोजित शिक्षक सामाज को अपने सामाजिक दायित्वों का बोध है।
शिक्षक एकता जिन्दावाद। ✊
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल मे है ,देखना है जोर कितना बाजू ए कातिल में है।✊
- आभास सौरभ,सामान्य पार्षद (बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ)
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