बिहार के योग्य एंव दक्ष नियोजित शिक्षक साथियों, बिहार में शिक्षकों के अस्तित्व संरक्षण हेतु चल रहे वर्तमान न्यायिक संघर्ष के महासंग्राम में विभिन्न प्रकार केअफवाह निरंतर फैलाये जा रहे हैं।

Upendra Rai जी के वाल से...
BSTSC MES :>                                                        
          #Doubt_Remedial_Message
          (संशय/सन्देह निवारणात्मक सन्देश) :- 
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                बिहार के योग्य एंव दक्ष नियोजित शिक्षक साथियों, बिहार में शिक्षकों के अस्तित्व संरक्षण हेतु चल रहे वर्तमान न्यायिक संघर्ष के महासंग्राम में विभिन्न प्रकार के सन्देहात्मक गतिविधियॉ, जानबूझकर विभिन्न अवांछित तत्वों द्वारा अपने क्षुद्र स्वार्थों (चंदा संग्रहीकरण) के पूर्ति के लिए चलायी जा रही है। इस सन्दर्भ में विभिन्न प्रकार के अफवाह निरंतर फैलाये जा रहे हैं। 

                लगभग एक सप्ताह पूर्व यह अफवाह फैलाया जा रहा था कि विभिन्न कैवियेट धारक संगठनों की SLP पर सुनवाई के दिन माननीय उच्चतम न्यायालय में उपस्थिति अनिवार्य है, अन्यथा, सुनवाई का डेट निरंतर बढ़ते रहेगा। बिहार सरकार कुछ कैवियेट धारक संगठनों से मिलीभगत कर SLP पर होने वाली सुनवाई को एक लम्बे अंतराल तक टालने की नौटंकी कर सकती है।      

                    अभी फिलहाल, यह दुश्प्रचार किया जा रहा है कि SLP धारक सभी पक्षों को माननीय उच्चतम न्यायालय, नई दिल्ली में अलग अलग डेट देकर SLP के अनुमति (Allowance) पर सुनवाई होगी। अतः सभी पक्षों को अधिकाधिक चंदा दिया जाय। इस प्रकार के प्रश्न, सैकड़ों आम नियोजित शिक्षकों द्वारा मुझसे प्रतिदिन पूछे जा रहे हैं।                                 इस सन्दर्भ में उपर्युक्त दोनों तथ्य सारासर बेबुनियाद एवं भ्रामक हैं।

                        बिहार सरकार द्वारा माननीय उच्च न्यायालय, पटना के CWJC-21199/2013 एंव अन्य के पक्ष में 31/10/2017 को दिये गये न्याय निर्णय के विरुद्ध माननीय उच्चतम न्यायालय, नई दिल्ली में दायर वाद {SLP (C) - 000020 /2018} के साथ सभी पक्षों को Attach कर एक ही तिथि को SLP के Allowance पर सुनवाई होगी क्योंकि Judgement सिर्फ और सिर्फ CWJC-21199/2013 एवं अन्य का है। SLP के Allowance पर सुनवाई हेतु Leading Case (CWJC-21199/2013) के वकील की उपस्थिति अनिवार्य होगी।

                  अन्य पक्षकारों के वकील के अनुपस्थिति के कारण सुनवाई बाधित नही होगी। माननीय उच्चतम न्यायालय, नई दिल्ली में उपर्युक्त फैसला के सन्दर्भ में कैवियेट फाईल कर SLP नम्बर प्राप्त कर कई अवांक्षित पक्षकारों द्वारा आम नियोजित शिक्षकों को विभिन्न प्रकार से बरगलाकर सिर्फ और सिर्फ चंदा वसूली के लिए दिग्भ्रमित किया जा रहा है।                                       

                  इस सम्बन्ध में यह स्पष्ट कर देना समीचीन होगा कि बिहार के साढ़े तीन लाख नियोजित शिक्षकों में से यदि सभी चाहें तो वे सिमिलर मैटर के आधार पर प्रस्तुत न्यायिक संघर्ष में अलग अलग कैवियेट दायर कर SLP नम्बर प्राप्त कर माननीय उच्चतम न्यायालय, नई दिल्ली में सुनवाई के दौरान अपने पक्ष में अपना वकील खड़ा कर सकते हैं, जो आवश्यकतानुसार सुनवाई में भाग ले सकता है । इससे फायदा यह होगा कि CWJC-21199/2013 के संबन्ध में माननीय उच्चतम न्यायालय, नई दिल्ली का जो फैसला होगा, वह उनपर भी लागु होग।                    

                    कहने का तात्पर्य यह है कि कैवियेट फाईल कर SLP नम्बर प्राप्त करना, कोई बहुत बड़ी उपलब्धि नही है, जो विभिन्न पक्षकारों द्वारा प्रदर्शित किया जा रहा है। यह सब चंदावसूली के लिए अपनायी जानेवाली प्रक्रिया मात्र है।   
                     वास्तव में CWJC-21199/2013 के सम्बन्ध में माननीय उच्च न्यायालय, पटना द्वारा दिया गया फैसला, जिस प्रकार नियोजन नियमावली - 2006 एवं उसके संशोधित स्वरुप के अन्तर्गत नियोजित सभी कर्मियों पर लागु होनेवाला है, ठीक उसी प्रकार से उच्चतम न्यायालय, नई दिल्ली का फैसला भी बिहार के शिक्षा विभाग के सभी नियोजित कर्मियों पर लागु होगा, इसमें कोई किन्तु परन्तु नही है।               

               अतः समसामयिक वर्तमान दुश्प्रचारों से सावधान रहते हुए नियोजित शिक्षकों के अस्तित्व संरक्षण के प्रस्तुत न्यायिक महासंघर्ष में संगठित रहते हुए अपनी योग्यता एंव क्षमतानुसार क्रियाशील रहें!
 :◆: उपेन्द्र राय, संयोजक, BSTSC!:◆:
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