एसएलपी संख्या 251 में लगा डिफेक्ट बनी पहेली
----------------------------------------------------------------------सुप्रीम कोर्ट में समान वेतन मामले में सुनवाई की तिथि तय नहीं होने की सबसे बड़ी वजह यह है कि अब तक जितने भी एसएलपी दायर किए गए हैं उन सभी मे लगे डिफेक्ट को हटा लिया गया है किंतु एसएलपी संख्या 251 में जान बूझकर डिफेक्ट छोड़ दिया गया है और इसी कारण से मामले की सुनवाई हेतु बेंच निर्धारित नहीं हो पा रही है । यह सरकार की साजिश है। इसके पीछे सरकार की मंशा यह हो सकती है कि वह जानबूझकर इस मामले को लंबा खींचना चाहती है या किसी अधिवक्ता की उपस्थिति अभी सुनिश्चित नहीं हो पा रही हो या बिहार सरकार के किसी पदाधिकारी का सुप्रीम कोर्ट में इंतजार हो । कुछ-न-कुछ तो सरकार की साजिश है या रणनीति है। यह भी संभव है कि सरकार जान बूझकर इसे टालती रहे और जब शिक्षक निश्चिंत हो जाएं या शिथिल पड़ जाएं तो झटके में इसे लिस्ट करा कर बहस करा दे। जिससे सभी लोगों को सतर्क और सावधान रहने की जरूरत है हम सभी लोग एसएलपी संख्या 251 पर नजर बनाए रखें।
सबसे बड़ी समस्या अधिवक्ता चयन को लेकर है। इसे समझना पड़ेगा। पूरा देश अवगत है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश भी विभिन्न मतों और विचारधाराओं में बँट गए हैं । आप सब जानते हैं कि अलग-अलग बेंच के लिए अलग-अलग अधिवक्ता ही उपयुक्त होते हैं । इस विचार को ध्यान में रखते हुए हम लोगों ने विचार किया है कि बेंच तय होने के बाद ही उस बेंच के लिए सबसे उपयुक्त नामचीन अधिवक्ता का चयन किया जाए । बेंच तय होने से पहले अधिवक्ता का चयन करना बुद्धिमानी नहीं होगी।
। धन्यवाद ।
वंशीधर ब्रजवासी जी के वाल से ।
----------------------------------------------------------------------सुप्रीम कोर्ट में समान वेतन मामले में सुनवाई की तिथि तय नहीं होने की सबसे बड़ी वजह यह है कि अब तक जितने भी एसएलपी दायर किए गए हैं उन सभी मे लगे डिफेक्ट को हटा लिया गया है किंतु एसएलपी संख्या 251 में जान बूझकर डिफेक्ट छोड़ दिया गया है और इसी कारण से मामले की सुनवाई हेतु बेंच निर्धारित नहीं हो पा रही है । यह सरकार की साजिश है। इसके पीछे सरकार की मंशा यह हो सकती है कि वह जानबूझकर इस मामले को लंबा खींचना चाहती है या किसी अधिवक्ता की उपस्थिति अभी सुनिश्चित नहीं हो पा रही हो या बिहार सरकार के किसी पदाधिकारी का सुप्रीम कोर्ट में इंतजार हो । कुछ-न-कुछ तो सरकार की साजिश है या रणनीति है। यह भी संभव है कि सरकार जान बूझकर इसे टालती रहे और जब शिक्षक निश्चिंत हो जाएं या शिथिल पड़ जाएं तो झटके में इसे लिस्ट करा कर बहस करा दे। जिससे सभी लोगों को सतर्क और सावधान रहने की जरूरत है हम सभी लोग एसएलपी संख्या 251 पर नजर बनाए रखें।
सबसे बड़ी समस्या अधिवक्ता चयन को लेकर है। इसे समझना पड़ेगा। पूरा देश अवगत है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश भी विभिन्न मतों और विचारधाराओं में बँट गए हैं । आप सब जानते हैं कि अलग-अलग बेंच के लिए अलग-अलग अधिवक्ता ही उपयुक्त होते हैं । इस विचार को ध्यान में रखते हुए हम लोगों ने विचार किया है कि बेंच तय होने के बाद ही उस बेंच के लिए सबसे उपयुक्त नामचीन अधिवक्ता का चयन किया जाए । बेंच तय होने से पहले अधिवक्ता का चयन करना बुद्धिमानी नहीं होगी।
। धन्यवाद ।
वंशीधर ब्रजवासी जी के वाल से ।
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